कुछ जाम हो तो.... Poem by Mithilesh Dixit

कुछ जाम हो तो....

कुछ जाम हो तो पिलाया जाये
जो बचे हैं उनको भी बुलाया जाए.

शहर में सबसे महँगी शराब ही तो है
इस पर पहरेदारी बढ़ाया जाये.

अब तो लोग आने लगे हैं मदिरालय में
साकी! अब कीमत बढ़ाया जाये.

ऐसे नशे से गुजरा हूँ कि सब बे-असरी है
मेरे लिए पैमाना बढ़ाया जाये.

ऐसे ही रहा तो कौन हाथ लगायेगा
शराब अब नए सिरे से बनाया जाये.

Sunday, April 2, 2017
Topic(s) of this poem: love and dreams
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