बेटियां Poem by Mithilesh Dixit

बेटियां

बेटियां ही एक सम्पूर्ण परिवार की द्योतक होती हैं;
बेटियां अपने पिता के माथे की चमक होती हैं |

बेटियां ही हर घर के आँगन की रौनक होती हैं;
बेटियों से ही घर में सानो-सौकत होती है |

बेटियों से घर में सुख समृद्धि रहती है;
बेटियों के रहने से घर में लक्ष्मी आती रहती है |

बेटियों से ही समाज के दो परिवार जुड़ता हैं;
फिर ये समाज बेटियों के विरोध में क्यों बोलता है?

Sunday, March 26, 2017
Topic(s) of this poem: daughters
COMMENTS OF THE POEM
Khyati Jain 12 May 2018

Very nice sir 😊

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