स्वीकार Poem by Ajay Srivastava

स्वीकार

अनेतिकतता का विरोध करना|
भ्रष्टाचार के लिए लडना|
कानून का पालन करना|
आय का सही विवरण देना|
वादे को याद रखना और निभाना |

यही पर सारा का सारा साहस असफल हो जाता है|
यही है हम सबका दुशमन |
यही है सबसे बडा केंसर|
हमे तुम्हे सबको बेबस कर देते है|

यही है हम सबको चुनोती देते |
है हिम्मत तो चुनोती को स्वीकार कर लो|

स्वीकार
Monday, July 11, 2016
Topic(s) of this poem: challenges
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Ajay Srivastava

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