तू मेरी, बस मेरी है Poem by Sanjeet Pathak

तू मेरी, बस मेरी है

तू मेरी और बस मेरी है,
काश ये तुझको जता पाता,
मेरे दो जहाँ तुझसे हैं,
काश ये तुझको बता पाता.
काश तुझे बता पाता की,
कितना प्यार मुझे तुमसे है,
की जिन आँखों में डूबा रहता हूँ,
उनकी गहराई का पता पाता.
फ़िक्र और मेरी बेफिक्री तुमसे है,
काश तुम कभी समझ पाती...
की जब भी हम लड़ा करते थे,
उन सब का प्यार दिखा पाता.
मिलना और बिछड़ना,
ये खेल सभी किस्मत का है.
की बिना मिले भी इक बंधन है,
ये दुनिया को सिखा पाता.

Sunday, April 24, 2016
Topic(s) of this poem: love,love and life
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