कर लेते हैं कुछ बात प्रिये Poem by Sanjeet Pathak

कर लेते हैं कुछ बात प्रिये

अनचाहे जब मिल ही गए हैं,
कर लेते हैं कुछ बात प्रिये.
अपना हाल सुनाओ तुम,
यहाँ बद-से-बदतर हालात प्रिये.
कैसे तेरे दिन कटते हैं,
कैसे कटती है रात प्रिये?
मैं तो पल-पल मरता हूँ,
कैसे तेरे लम्हात प्रिये?
तेरा बोर्ड जाल भी तेरे
तेरे मोहरे चाल भी तेरे
मैं भूल गया औकात प्रिये.
चलो खेलें फिर खेल वही,
शह तेरा मेरी मात प्रिये,
सुना है बाज़ारों में बिकते हैं, अब
किलो के दर जज़्बात प्रिये.

Sunday, April 24, 2016
Topic(s) of this poem: love,love and life
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