दिल से इक आवाज आई,
दिल ने फिर इक सिफारिश की,
मदहोश हूँ, ख्वाईशें हैं कही,
इरादे नेक हैं, लापरवाह नही,
अलफाज जरूरतमंद हैं,
ईशारों की कारिगरी नही,
इश्क का दरिया हूँ,
बह जाने दो यूँ ही!
रोको ना मुझे,
सैलाब ना बन जाऊ,
टूट ना जाऊ खुद,
बर्बाद जहां ना कर जाऊ!
ना कोई गम हैं तेरे ना आने का,
ना तुझसे खफा हूँ,
तु हैं रहनुमा!
जीना चाहता हूँ जिन्दगी इस कदर
के खुद में जीना, मरजाना चाहता हूँ
तेरी इबादत कर,
सितारा बन जाना जाहता हूँ!
इश्क की आग में जल,
चमक जाना चाहता हूँ!
वाह! कैसे सुंदर विचार इस कविता के द्वारा पाठक के दिल तक पहुंच रहे हैं. कोई स्वार्थ नहीं. केवल एक व्यापक समर्पण भावना का प्रसार होना चाहिये. एक उद्धरण: तेरी इबादत कर, सितारा बन जाना जाहता हूँ! इश्क की आग में जल, चमक जाना चाहता हूँ!
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Your delicious verses about love and life are really impressive......thanks for sharing...
Thanks Sir, I will try to share more poems about love and life.