Every time
Breaking all the protocols
I want to come to you
Stars
...
It was the rain of a dark night
The moonlight had got lost in the embrace of the clouds
It was an open field
My body
...
▪️ अरविन्द श्रीवास्तव
नहीं लगती कौवे की पंचायत
बिजली के तारों पर
...
राइफलें
जो किसी पत्ते की खड़खड़ाहट
कि दिशा में
तड़तड़ा उठी थीं
...
Rifles
the rustling of a leaf
in that direction
had woken up furiously
...
ब्रह्माण्ड का गिरमिटिया हूँ
अनुबंध पर आया हूँ
चंद दिनों के लिए
धरती पर
...
●अरविन्द श्रीवास्तव
उन यादों को चमकाता हूँ मैं
जिसे समय ने बदरंग कर दिया है
...
..कि जैसे समय स्याह अंधेरे में भटक चुका था
कि जैसे एक गिलहरी
शिकारी कुत्ते की गिरफ़्त मे आ चुकी थी
कि जैसे किसी निश्छल-कलकल बहती धारा में
...