A storming thought was able to draw a bead on,
Troubled onerous to fly higher,
However, could not blow it's wing out of dire,
Deep below the ocean, the red queen was holding the wire.
...
शर्तों की खेल में बिछरता
जैसे शतरंज का कोई गुलाम,
खोखली ख्वाहिशों की चाल चलता
जैसे मौत को दे रहा कोई पैगाम।
...
हर दिन गुज़र रहा है
और हर एहसास को ज़र्द कर रहा है
एक नहीं दो नहीं मेरी इज़्ज़त को
तार-तार हर एक मर्द कर रहा है
...
I'm an occasional stalker, decision delayer, a midnight writer and sometimes a thief of thoughts too; imbibed with the simplicity of a pearl and wickedness of a vampire.)
परदेसी
ज़िन्दगी का समन्दर
ठहरा-ठहरा सा है
उसकी धरती की परत पर
कुछ कोहरा-कोहरा सा है
साँसों की नाँव
न डूबती न खेती है
ठंडी -ठंडी आँहों से
पतवार धीमी-धीमी धरक लेती है
कोई पंछी तो दिखे
इस आसमान की छाँव में
दिखाए मुझे रास्ता
ले चले मुझे अपने गाँव में
याद आती है जिसकी मुझे
उस मिटटी को महसूस करा ज़रा
दम जिसकी बाहों में तोड़ना चाहूँ
उस आँचल में मुझे मेहफ़ूज़ करा ज़रा
कोरा है तुझबिन यह समय
ठहर गयी मेरे नब्ज़ों की चाल
कैसे मैं खुद को ढुँढू
जब मुझे मिल रहे जवाबों में कई सवाल
तेरा होकर तेरा नहीं
जाने यह विडम्बना है कैसी
तेरा सगे से सगा होकर भी
बन गया मैं तेरा परदेसी