जमके कर तु दटके कर,
मांग रहा है ये वतन,
थकना नहिं तु करता चल,
उठाके मिट्टी ये वतनकी,
लहूँसे अपने कर जतन.
पानीसे तु आग लगा,
अंधेरेसे ज्योत जला,
पसीनेसे अपनी प्यास बूजा,
महेनतसे तु भूख भगा,
लहूँसे अपने घाँव रूजा.
चालमें अपने जोश दीखा,
शीशपे अपने धूल चडा,
मूठ्ठी बंद कर, आँसमान जूका,
ख्वाब नहिं तु इतिहास बना.
- रवि पटेल
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