कुंती ने ऐसी क्यों कही थी,
'हे ईश्वर, तुम मुझे दुःख दो,
ताकि मैं तुम्हें हर पल याद कर सकता हूँ'।
वह तो यह बोल सकती थी,
'मैं ने ईश्वर की याद नहीं की,
इसलिए उन्हें मुझे दुःख दिया'।
अगर आप दुखी हैं
तो आप संग्राम करना सीखेंगे
दुःख से बचने के लिए।
आप जीत भी सकते हैं,
हार भी सकते हैं-
आपके अंदर एक आत्मबोध जन्म लेगा,
वही ईश्वर प्राप्ति।
सुखी इंसान संग्राम नहीं करता,
इसलिए उनका आत्मबोध कभी जन्म नहीं लेता।
संग्राम जो करता है,
वह जीते या हारे,
लेकिन वही महान बनता है।
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