Kya kahen क्या कहें Poem by Shiv Abhishek Pande

Kya kahen क्या कहें

क्या कहें
क्या हाल है हमारा
तुम्हारे बिन
बस यूं कहो की धड़कने चल रही है
लगता है की हम जिन्दा है '
'दिल जो एहसासों का
एक पुलिंदा है
जिसे तुमने छोड़ दिया है
, इस वीराने मे
वो आज भी
तुम्हारी यादों से
अपनी तन्हाई का साथ देता है '
'दिल जब मचल जाता है
तुम्हारे लिए
तब उसे ये बोल के
समझा देते है की
एक दिन तुम आओगी और कहोगी
चलो हम हमेशा के लिए एक हो जाते है '

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