Kuch Sher - 10 (In Hindi/Urdu) Poem by M. Asim Nehal

Kuch Sher - 10 (In Hindi/Urdu)

Rating: 4.9

शाख़ पर बैठा एक परिंदा हूँ मैं
लम्बे सफर से लौटा एक बंदा हूँ मैं
क्या शिकार करोगे अब तुम मेरा
हवा के झोके से ही गिर जाऊँगा

अँधियों ने कई चराग़ बुझाये है
फिर भी दीये कहाँ बाज़ आये हैं
अपनी ज़िद में मैं खुद जल जाऊँगा
ज़िन्दगी से गया तो ख्यालों में आऊँगा

COMMENTS OF THE POEM

ज़िन्दगी से गया तो ख्यालों में आऊँगा Beautiful.

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Varsha M 10 September 2020

Bahut behtareen shayari chidiyo ke saath. Aur aandhi aur chirag ka madhur nok jhok.

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Sharad Bhatia 10 September 2020

वाह जनाब वाह बेहतरीन शेर एक बेहतरीन शायर की क़लम से 100+

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