Khuda Ke Shahar Me (Hindi) खुदा के शहर में Poem by S.D. TIWARI

Khuda Ke Shahar Me (Hindi) खुदा के शहर में

खुदा के शहर में

खुदा के शहर में देखा, दिया है न बाती है
जाणूं न कैसे मगर, रात जगमगाती है
सड़कें न पुल कहीं, हवाओं में फिर भी उडी
जाणूं न कैसे दौड़ी, गाड़ी चली जाती है
पंखा न कूलर वहां, लगे वातानुकूल नहीं
दिल को जुड़ाने वाली, बयार महकाती है
नहाने का घर नहीं, देखा न घाट कहीं
बारिशों के पानी में, दुनिया नहाती है
महंगे लिवास नहीं, पहने न गहने कोई
जाणूं न कैसे मगर, खूबसूरती लुभाती है
बागों में फल लगे, खेतों में अन्न भरे
फरिश्तों की भीड़ बैठ, जी भरके खाती है
सोने न जगने की, चिंता है करता कोई
उसका ही नाम बस, सुख चैन बरसाती है

(C) एस० डी० तिवारी

Monday, June 6, 2016
Topic(s) of this poem: hindi,spiritual
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