Khuda Hi To Mohhabat Parosta Hai(खुदा ही तो मोहब्बत परोसता है) Poem by Shiv Abhishek Pande

Khuda Hi To Mohhabat Parosta Hai(खुदा ही तो मोहब्बत परोसता है)

खुदा ही तो मोहब्बत परोसता है
मैंने भी एक दफा एक निवाले की
खवाइश मे दुआ की थी
तब तू मेरे दिल मे
जस्बातों मे घुलकर उतरी थी

की फिर हमे भी हमारी
खबर नहीं रही
इतना भी हसीं हो सकता है
मोहब्बत का नशा मालूम न था

के तमा उम्र भी न होश आयेगा
बस एक गम रहेगा दिल मे मेरे
तू तो मेरा न हुआ कम्बख्त
कब तक तेरी यादों को ज़ेहन दोहराएगा

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