Hindi Tanka Poem by S.D. TIWARI

Hindi Tanka

लगे ढूंढने
किससे इश्क़ हुआ
गली के लोग
उसने कहा क्यों न
मेरा पता दे दिया

मैं भी क्या मुर्ख
बाजार में डोलता
कहीं तू दिखे
जो की मालूम है तू
खरीददार नहीं

चमक रहे
अम्बर में बिखरे
इतने हीरे
कितना अच्छा होता
एक मेरा भी होता!


क्यों खोलूं आँखे!
सपनों में वो आये
बंद थे तो ही
अरे! वो तो ऐसे हैं
मन की ऑंखें देखें

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