दशहरा (Dusherra) Poem by Sharad Bhatia

दशहरा (Dusherra)

Rating: 5.0

दशहरा (Dusherra)

आओ मिलकर दशहरा मनाए,
अपने अंदर के रावण(अहंकार)को जलाये।।

"मैं" की आग मे जो जल रहे हैं उसे बुझाये,
आओ मिलकर दशहरा मनाए ।।

बन राम संयम बरत जाए,
लक्ष्मन जैसा भाई हम बन दिखाये,
माता सीता की तरह अपने मन को शुद्ध कर जाए ।।

बन हनुमान अपने माँ बाप की सेवा कर जाए,
बन भरत इस मोह माया को त्याग,
हो सके तो शबरी के बेर की तरह मीठे बन जाए,
सुग्रीव की तरह मित्रता निभाये,
आओ मिलकर दशहरा मनाए ।।

एक दूसरे के गले लग जाये,
आपसी भेदभाव भूला अपने अन्दर की बुराई को जलाये,
आओ मिलकर दशहरा मनाए ।।l

दशहरा (Dusherra)
Sunday, October 25, 2020
Topic(s) of this poem: festival,festival of light
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
Happy Dussehra to all my Respected seniors Guruji and all my lovely fellow friends of PH.
May Ram Lord all bless you always and fulfill your all dreams come true.
COMMENTS OF THE POEM
Suresh Kumar Ek 07 November 2020

Nice poem on Dusherra Pray to kill the asura Our ego. Thanks Sharad

0 0 Reply
M Asim Nehal 27 October 2020

Wah wah kya pyara sandesh diya hai aapne....Chalo phir se rishwat ke kumbhkaran ko sulayen, Meghnath ko marusthal me barsaye....My wishes to you and your family members.

1 0 Reply
Sharad Bhatia 28 October 2020

सुप्रभात असीम साहब जी, मैं माफी चाहता हूँ कि कुछ व्यस्तता के चलते मैं PH page नहीं देख पाया नहीं आपके द्वारा की गई टिप्पणी को पढ़ पाया जिसका मुझे हार्दिक खेद है पहले तो बहुत - बहुत आभार जो आपने मेरी छोटी सी कल्पना को पढ़ा और इसे सराहा आपने भी बहुत खूब कहा कि आओ रिश्वत के कुंभकर्ण को सुलाये और मेघनाथ से मरूस्थल मे बरसात करवाये।।

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Rajnish Manga 25 October 2020

अद्वितीय कविता. रामायण के पात्रों के माध्यम से आत्मोत्थान का संकल्प अपने तथा समाज में वांछित परिवर्तन की दिशा में निर्णायक साबित हो सकता है. दसहरा पर्व के पावन अवसर पर एक सुन्दर प्रस्तुति. आपका अतिशय धन्यवाद, मित्र शरद जी.

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Sharad Bhatia 29 October 2020

गुरुजी सादर प्रणाम, मैं माफी चाहता हूँ कि कुछ व्यस्तता के चलते मैं PH page नहीं देख पाया और ना ही आपके द्वारा की गई टिप्पणी को पढ़ पाया जिसका मुझे हार्दिक खेद है पहले तो बहुत - बहुत आभार जो आपने मेरी छोटी सी कल्पना को पढ़ा और इसे सराहा

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Varsha M 25 October 2020

Happy Dussehra wishes to you and your family members.

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Sharad Bhatia 29 October 2020

सुप्रभात वर्षा जी, मैं माफी चाहता हूँ कि कुछ व्यस्तता के चलते मैं PH page नहीं देख पाया और ना ही आपके द्वारा की गई टिप्पणी को पढ़ पाया जिसका मुझे हार्दिक खेद है पहले तो बहुत - बहुत आभार जो आपने मेरी छोटी सी कल्पना को पढ़ा और इसे सराहा

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