Asmita Poem by Uddhab Naik

Asmita

मैं साज हूँ, मैं आज हूँ
मैं प्रकृति, मैं स्वीकृति
मैं प्रेम का प्रयाग हूँ
मैं अस्मिता,
मैं अस्मिता,
मान हूँ, सम्मान हूँ ।

मैं हूँ खुशी की एक लहर
जो ना झुकी किसी डगर
मैं हूँ हँसी विश्वास की
मैं हूँ सामथ्र्य झाँसी की
मैं गरिमा हूँ, मैं सीता हूँ
मैं गांधी हूँ, सुवासहूँ
मृत्युंजयी आलौकिक
प्रेममयी प्रकाश हूँ
मैं अस्मिता,
मैं अस्मिता,
मान हूँ, सम्मान हूँ ।

मैं हूं खड़ग शिवाजी की ।
मैं हूं स्नेह सबरी की ।
मैं शक्ति हूं, युक्ती हूं ।
राधा की प्रित में,
मीरा का संगीत हूं।
मैं अस्मिता,
मैं अस्मिता,
मान हूँ, सम्मान हूँ ।

Thursday, January 2, 2020
Topic(s) of this poem: feminism,woman,womanhood,women empowerment
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