शायर जैसा कोई नही Poem by Anant Yadav anyanant

शायर जैसा कोई नही

सब हैं मतलब के मारे
मारे जैसा कोई नही,
छोटी तिली भी आग लगाए
राख बनाए भरे को
पर पानी जैसा कोई नही।

टूट पत्तों के ढेरों को
कुचल के जाते हर कोई
हाथ थाम ले गिरे का
सहायक जैसा कोई नही
लिखे लाचार बेबस पर सब
पर शायर जैसा कोई नही।

आशिक को शायर पागल कहते,
पागल जैसा कोई नही
पागल में है स्नेह भरा
चालक में है धूर्त भरा
दूसरे पर जान दे
उस पागल जैसा कोई नही।

माने राधा कृष्ण को
मासूक की जन्नत कहता है
पर प्रेम को माने कोई नही
जो प्रेम को ही रब कहता है
उस पागल जैसा कोई नही।

करता धरती से प्रेम बड़ा
उस बलिदान सिपाही का कोई नही
पहन सफारी चले सफारी
उस इंसान का हर कोई
खड़े सीमा पर खाए गोली
उस साहसी जैसा कोई नही

बातों को चंद शब्दो में लिख
शायर जैसा कोई नही।

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