जो अब तन्हा ही निकला तो, ज़माना साथ चलता है Poem by Abhishek Omprakash Mishra

जो अब तन्हा ही निकला तो, ज़माना साथ चलता है

सनम दिल के घरोंदे में अजब सा नूर जलता है
मेरी आँखों में अब तक यूँ तुम्हारा ख़्वाब पलता है
कभी तुम साथ चलती थी, तो दुनिया आंह भरती थी
जो अब तन्हा ही निकला तो, ज़माना साथ चलता है

''कवि अभिषेक ओमप्रकाश मिश्रा''

Friday, December 19, 2014
Topic(s) of this poem: love and pain
COMMENTS OF THE POEM
Akhtar Jawad 19 December 2014

Beautiful Lines, perfect by all means....................

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