जो देखू आज घर आँगन तो माँ की याद आती है. Poem by Abhishek Omprakash Mishra

जो देखू आज घर आँगन तो माँ की याद आती है.

जो देखू आज घर आँगन तो माँ की याद आती है.
जो छूटी गोद मनभावन, तो माँ की याद आती है
कभी वो प्यार से मुझको लिटा कर गुनगुनाती थी
सुनु लोरी कोई पावन, तो माँ की याद आती है.

''कवि अभिषेक ओमप्रकाश मिश्रा''

Friday, December 19, 2014
Topic(s) of this poem: love and pain
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