चाँदनी रात. Poem by Ritika Abigail

चाँदनी रात.

फिर आज ये चाँदनी रात है
बेदर्दी तनहाई का आग़ाज़ है
इस चाँद के उजले उजले अक्स में
फिर हम तेरे साथ के मोहताज़ है।
#RA

Monday, June 16, 2014
Topic(s) of this poem: hindi
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