मौत Poem by Vishnu Pandit

मौत

सत्य को असत्य में परिवर्तित कर
कब तक छुपेगा मनुष्य
वोह तो आएगी, एक पल में कब
बिना आहत, अपने मंज़र छोड़ जाने के लिए
भागता रहेगा जिससे हर पल
इस भौतिक संसार की खुशियों में, बन्धनों में
गोते लगा रहा होगा
तब वहीँ पर अपने संग डूबा ले चलेगी

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Vishnu Pandit

Vishnu Pandit

Nanital, India
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