कभी कभी
मिलकर बिछड़ना सुब है मुमकिन
लकिन दिल से दिल की बात
कभी कभी, ! !
चाँद का आइना देखा है अक्सर
लकिन उनके चेहरे पर मुस्कान
कभी कभी, ! !
दीपक की रोशनी नहीं दिखाई देती
लेकिन उस रोसनी पर निर्भर लोग दिखते
कभी कभी, ! !
रास्ते सही हो या गलत मंजिल तक जाने के
उन ठोकरो से इंसान सुधरता है
कभी कभी, ! !
हम मौत के पास आज खड़े है
जिंदगी तो जिए है हम
कभी कभी, ! !
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem