हम देश की युवा पीढ़ी हैं हमें दुनिया में छा जाने दो
नई नौकरी दे ना पाए पहले की रहजाने दो
लोलिपॉप, ये जुमले, वादे पेट नहीं भर पाएंगे
मेहनत, लगन, ख़ुद्दारी से दो वक़्त की रोटी खाने दो
करलो दुनियां मुट्ठी में ये ड्रीम, टार्गेट, नारा था
कई हज़ारों मेहनत कश का ज़रिया और सहारा था
ऐसी ऐसी कम्पनियां भी होगई हैं कंगाल यहाँ
फंस गई है मजधार में कश्ती नय्या पार लगाने दो
टैक्स बचेगा तब के जब ये जॉब बचा रहजाएगा
बिना नौकरी घर का मुख्या जीते जी मरजाएगा
किसी के घर का लोन है बाक़ी कोई किराएदार यहाँ
बच्चों का स्कूल बचालो घर का ख़र्च चलाने दो
लेखक: नादिर हसनैन
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