तू आज भी लाज़वाब लगता है,
जैसे सास लेता मेहताब लगता है ।
नसा बोतलों में नहीं, तेरे हुस्न में है,
तूझे देखके तो, पानी भी शराब लगता है ।
अगर तू सामने हो, तो पहले खुद को जगाता हूँ,
तू खुले आँखों का ख्वाब लगता है ।
पढू या महसूस करू, इस कस-म-कस में हूँ,
हर एक लफ्ज़ में चुप, तू कोई किताब लगता है ।
नज़रो का दोस नहीं, यह दिल का कसूर है,
उम्र ढल गयी, पर तू मुझे वाही गुलाब लगता है ।
तू आज भी लाज़वाब लगता है,
जैसे सास लेता मेहताब लगता है ।
#गिल्लू
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