जरूर Poem by Gillu Rahul

जरूर

Rating: 5.0

मै आज जिस मोड़ पे खड़ा हूँ,
कल तू वहा से गुजरेगा जरूर ।

मै तो टूट गया आईने सा,
तू पत्थर है, थोड़ा बहुत पिघलेगा जरूर ।

''दिल के जखम आसानी से नहीं भरते ।"
मेरा नासूर है, ता उम्र रहे सायद,
तू हुनरमंद है छुपा भी ले, पर दिखेगा जरूर ।

"इश्क़ बस एक दफे होता है जिंदगी में ।"
मैने तो जिंदगी तेरे नाम कर दिया,
मिटाने के लिए सही पर, तू भी मेरा नाम लिखेगा जरूर ।

"जो लौट के आये बस वही तुम्हारा होता है ।"
मै इंतज़ार में हूँ तेरे वापस आने का,
तू सुबह के चका-चोंध में भले हो, पर शाम को लौटेगा जरूर ।

#गिल्लू

जरूर
Monday, March 30, 2020
Topic(s) of this poem: sad love
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success