भारत माता की जय कह कर देश भक्त कहलाएंगे Poem by NADIR HASNAIN

भारत माता की जय कह कर देश भक्त कहलाएंगे

भारत माता की जय कह कर देश भक्त कहलाएंगे
नाम बदल कर देश का अपने स्विटज़रलैड बनाएंगे
अपनी मां की फ़िकर नहीं वह वृध आशरम जाएगी
गौ माता की फ़रज़ी सेवा, करके रक्त बहाएंगे

जिगर का टुकड़ा आंख का तारा, घर में सबका राजदुलारा
सांस की आस लगाए लेटा तड़प तड़प कर मर गया सारा
मां की गोद में खेल रहे बच्चों का जीवन छीन लिया
चिता जलेगी मासूमों की, मौक्छ आैर मुक्ति पाएंगे

खेल मौत का खुल कर खेलो, प्यार पे लग गई पाबन्दी
रोज़गार मिटजानेदो, बाज़ार में होनेदो मन्दी
भक्ति क्या है क्या है सेवा राजधर्म क्या होता है
मसजिद आैर मदरसों की तसवीर में हम दिखलाएंगे

: नादिर हसनैन 'दरभंगवी'

Sunday, August 13, 2017
Topic(s) of this poem: sad,sorrow
COMMENTS OF THE POEM
sweta pathak 02 July 2018

this poem should be a little bit long: [

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