लड़कियों के आज रिश्तों से भरा अखबार है
पास में पैसा है जिसके उसका बेड़ा पार है
कर दिया बेटी की शादी जितने भी ज़रदार थे
उनका क्या होगा बताओ जिसको ज़र ना यार है
जल रही हैं लड़कियां हैं ख़ुदकशी ये कररहीं
कर रहे हम ग़लतियाँ हैं मगर वह मर रहीं
पैदा होने से क़ब्ल ही क़त्ल होती बच्चियां
इन मौत का तुम्हीं बताओ कौन ज़िम्मेदार है
डाक होने अब लगा है नौजवानों के लिए
बिक गए हम उनके हाथों मांग थी जितनी दिए
ऐसी शादी होही जाती है जहन्नुम की तरह
ख़ुश नहीं रह पाते हैं वह ना ही मिलता प्यार है
हैं कंवारी जिनकी लड़की उनसे जाकर पूछये
भाई तो होंगे किसी के? बाप बनकर सोचिये
आएगा ख़ुद ही समझ में जब बनेंगे ज़िम्मेदार
दस्तूर ये कैसी घिनौनी इस् जहां में यार है
क़सम सब मिलकर यहाँ पर नौजवान ये खाएंगे
मिलकर देंगे हम सजा ज़ुल्म जो भी ढायेंगे
मांग अब कुछ भी ना होगी ना तो नादिर ख़ुदकुशी
इसकी ख़ातिर देख लो हर नौजवां तैयार है
: नादिर हसनैन
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