कैसे मेरी दुरी को तू महसूस किया है Poem by ainan ahmad

कैसे मेरी दुरी को तू महसूस किया है

जब भी तेरी याद आयी है
तुझे याद किया है अपने ख्यालो में बिठा के
के नज़र ना लगे तुझे ज़माने की
गलत हवाओ का असर ना हो जाए
ये मोहब्बत ही तो है सनम तेरी
तू जब भी दूर चली गयी मुझसे कहीं
तेरी आहट से भी प्यार किया है मैंने
अब जाने भी दे मेरी दीवानगी को
कुछ अपना भी तो बता जानेमन
कैसे मेरी दुरी को तू महसूस किया है
खोई थी कहीं यादो में मेरी
या हर शै को तू महसूस किया है

Sunday, October 16, 2016
Topic(s) of this poem: love
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