जब भी तेरी याद आयी है
तुझे याद किया है अपने ख्यालो में बिठा के
के नज़र ना लगे तुझे ज़माने की
गलत हवाओ का असर ना हो जाए
ये मोहब्बत ही तो है सनम तेरी
तू जब भी दूर चली गयी मुझसे कहीं
तेरी आहट से भी प्यार किया है मैंने
अब जाने भी दे मेरी दीवानगी को
कुछ अपना भी तो बता जानेमन
कैसे मेरी दुरी को तू महसूस किया है
खोई थी कहीं यादो में मेरी
या हर शै को तू महसूस किया है
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem