Shayari Page 36 Poem by Sankhajit Bhattacharjee

Shayari Page 36

‘और चिकन ले लो, हड्डियां हमारा कुत्ता खाता है'।
‘जो लोग इंसान की हड्डियां खाते हैं, उसकी हड्डियां कौन खाने वाला है'!
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कभी कभी कुत्ता भी इंसान को पालता है।
वही जो कुत्ता पालने के बाद, अपनी इंसानियत भूल जाता है।
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अपनी माँ से हम जो जो चीज़ें मांगते हैं, अपनी बीवी से वे कभी नहीं मांग पाएंगे।
लेकिन माँ के पास मांगना नहीं पड़ता और अपनी पत्नी से कितनी बार वह पूछेंगें।
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ससुराल में आकर कितनी मायूस औरतों मासूम हो जाती हैं।
ससुराल एक ऐसी जगह है, जहाँ बिना पूछे ही मनोवैज्ञानिक आ जाते है।
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पति और पत्नी दोनों की स्वतंत्रता एक साथ।
अगर किसी एक को स्वतंत्रता नहीं मिली तो दूसरे की भी खत्म बात।
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पत्नी का अधिकार कोई छोड़ता नहीं।
पति के साथ अंत तक वह रहने की कोशिश करती सही।
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जो दार्शनिक, सिर्फ वह लिख सकता।
जो दार्शनिक नहीं है, वह हज़ार किताबों पढ़ कर भी एक पंक्ति लिख नहीं सकता।
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जो दार्शनिक है, उसका दिमाग ज्यादा काम करेगा।
एक विषय के बारे में लोग एक बार ही सोचते हैं, लेकिन वह कई बार सोचेगा।
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