अब रिश्ते तार तार हो रहे हैं
कहीं पति तो कहीं पत्नी पर वार हो रहे है
कहीं सासू दामाद का चक्कर है
तो कहीं समधी - समधन संग फरार हो रहे है
मर्यादा तो भंग हो चुकी है कब की
अब समाज में खुले आम व्यभिचार हो रहे हैं
हर रिश्ते कलंकित अब हो रहे हैं ऐसे
लोग सुन सुन के शर्मसार हो रहे हैं
हैवानियत बढ़ गई है इतनी
लोग हिंसा के शिकार हो रहे हैं
अब रिश्ते तार तार हो रहे हैं
गया प्रसाद आनन्द
(आनन्द गोंडवी)
मो.9919060170
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