बनकर आविनाशी बैठा हूँ, मै छणिक मृत्यु से कब डरता,
विस्मय का बोध भुजाओं में ले कर मै कब कब मरता,
वो धर्मं की चर्चा करते है, मैं अर्थ की चिंता करता हूँ,
वो दूत शांति के हैं तो क्या, मै तो असत्य का पालनकर्ता..........
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Thanks Geetha.......................................