शहीदों को सलाम Poem by Ashish Behal

शहीदों को सलाम

आतंक का देखो कैसा ये कोहराम मचा है, कभी पठानकोट तो कभी उड़ी की साजिश को रचा है।
कई शहिदों ने शहादत का जाम पिया
18 जवानों ने फिर से भारत का ऊँचा नाम किया,
शहीद हुए देश की खातिर, सीने पर गोली खाई थी,
आओ झुक कर सलाम करे इन्हें क्योंकि भारत माँ की लाज बचाई थी ।
लुट गयी माँ औ की कोख, कंही सिन्दूर ही उजड़ गया
गिली थी हाथो की मेंहदी अभी, कंही बजी अभी शहनाई थी, शहीदों ने भारत माँ की लाज बचाई थी ।
भय नहीं हमे पाक के नापाक इरादों का,
डर है तो घर में बैठे जयचन्दों की बेवफाई का।
बहुत हुआ अब आतंक का तांडव, कुछ नया इतिहास रचना होगा,
जाग देश के नोजवान अब लाहोर में तिरंगा फहराना होगा।
शहीदों की शहादत को सलाम तब हमारा होगा,
जब जैश-ए-मोहमद जैसे आतंकियों का कत्ले आम होगा।
भारत माँ की तरफ जो उठे गर्दन वो शीश हम काट फैंकेंगे
शहीदों के कतरे कतरे का हिसाब हम लेंगे
इक बार जो हो जाये उदघोष तो भारत का नक्शा हम बदल देंगे
खण्ड खण्ड इस भारत को फिर से अखंड कर देंगे।
ए पाकिस्तान बुद्धि पर तेरे ये केसा पथर पड़ गया
तेरा ही पाला सांप फिर से तेरे बच्चों को डस गया
वादा है तुझसे कर दोस्ती हम बड़ी शिद्दत से निभायँगे
दुश्मनी पर जो उतर आये तो तेरा वजूद ही मिटा जायेंगे।

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