हमे तो धूप ने ही पला है Poem by LUCKY GAUTAM poet

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हमे तो धूप ने ही पला है

"चाह न एक पल थी हमे छाओ की
हमने तो डूबती कस्तियो को पार निकला है
रह रह कर तडपे है एक बून्द पानी को
पर धूप को हमने न दिल से निकला है

हमे तो धूप ने ही पालाहै
तो मन में क्यों छाओ हो

दूर बैठ वो हस्ते रहे, हमे जलता देख कर
आश न थी हमे उनसे एक हाथ मदद की
हमने तो अपनों को भी तोला है तराजू में
तो पराये से क्यों दरकार हो

हमे तो धूप ने ही पाला है
तो मन में क्यों छाओ हो


जो कह गया में अमृतवाणी उसका हिसाब आज तुम न लगा पाओगे
एक दिन दौड़ के आओगे मुझे सीने से लगाओगे
कहोगे चल जरा गौतम, हुई जो खता उसे भूल जा
पर
हमे तो धूप ने ही पालाहै
तो मन में क्यों छाओ हो "

Tuesday, July 10, 2018
Topic(s) of this poem: hindi,struggle
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