Anand Prabhat Mishra

Anand Prabhat Mishra Poems

शायर हूँ कोई फ़रिश्ता तो नहीं
तेरा दर्द मेहसूस कर सकता हूँ
पर मिटा सकता नहीं
चाहो तो कुछ दर्द पन्नों पर उतार लो
...

आज फिर आना मेरे सपने में
और मुझको रुला जाना,
बंद आँखों में तस्वीर अपनी छुपा जाना
तन्हाई सी रात को आसुंओं से भिगो जाना
...

दया की दृष्टि से हेरो हमें हे शारदे देवी ।

कुबुद्धि को मिटा हीय से सुमति दो, शारदे देवी ।
...

कुछ फुर्सत के लम्हों में मैंने लिखा है
कि मैने लिखना तुम्हें देख कर सीखा है..
यूं तो कई ख्वाब देखें हैं मगर,
एक ख्वाब को हकीकत सा लिखा है..
...

तो बस एक दिन कैसे तुम्हारे नाम करूं
कई रात मैने तुम्हें जगाया है
कई वर्ष अपनी नादानियों से तुम्हें सताया है
जब जब बिजली चली जाती थी
...

याद तो करोगी ना
जब तेज हवाएं दिए के लौ से टकराएंगी
हाथों से घेर दुआओं को बचाओगी ना
आईने में देख बिंदी जो माथे पर लगाओगी
...

सोचता हूँ..
जो अब तक न लिखी गई हो
वो लिखूं
अपने हृदय की वो सारी प्रीति लिखूं
...

रहता नही मैं अकेला आज कल
मेरे कमरे में तन्हाई भी रहती है..
सब कुछ है मेरी दुनिया में मगर
तेरी कमी भी रहती है..
...

||वो सब कुछ लिखूंगा
जो अभी लिखना शेष है||
...

जानता हूं के तुम ना आओगे
पर क्यूं तुम्हारे आने जैसा प्रतीत होता है?
कोई बेवक्त दरवाजा खटखटाता है
और लगता है कहीं तुम तो नहीं?
...

और फिर मूंद कर पलकों को
बढ़ाए अपने हाथों को मोड़कर
अंतिम मुस्कान से विदा किया तुम्हें..
एक हंसते मुस्कुराते चेहरे को
...

जब पन्नो को पलट कर देखता हूं
शब्दों के दाग बहोत गहरे मालूम पड़ते हैं
काश कोई मेरे मन के पन्नो को भी उलट कर देखता
ना जाने कितने हालातों के दाग उभरे हैं
...

पेड़ काट सड़क पक्की बना दी हमने
सरपट भागती गाड़ियों को जीवन की रफ़्तार मान ली हमने
साँसे स्वच्छ लेने के लिए
पेड़ लगाने के सुझाव भी दे डालें
...

रंगे थे तुम्हारे पैर कभी जैसे शाम को रंगते हैं बादल,
चाहा तुम्हें भी दिन रात जैसे चांद के लिए चकोर हो पागल..
वो पल जिनमे तुम साथ थे, और हर शाम सुहानी थी,
बातें खत्म न हो पर वक्त बीत जाती, बड़ी लम्बी कहानी थी..
...

​​​सचित्र कल्पनाओं से परिपूर्ण एकांत मन में
सुंदर छवि का नयनों में उतर आना जैसे
सायंकाल में नदी में झांक कर खुद को संवारता चंद्रमा
उदित होने को तैयार होता हो जैसे..
...

तुम से हुई एक छोटी सी बात
दिन भर की संगीत बन जाती है..
तुम्हारी मुस्कान की एक झलक
न जाने कितनी कविताएं बन जाती है..
...

मैने बस तुम्हें देखा
फिर जो देखा सब तुम जैसा देखा
मैंने वर्षों से दर्पण में बस संवरते चेहरे को देखा
मैने पहली बार देखा
...

एक सुनहरे सपने जैसे बीते उन लम्हों में
कब तक तुम्हें संजोता रहूँ
वो अंतिम मुलाक़ातों को याद कर के
कब तक अश्रुओं से पलकों को भिगोता रहूँ
...

मेरे तुम्हारे संवादों में बहुत छोटा सा किन्तु प्यारा सा
होता है एक क्षण ऐसा,
बंद कलियों के भीतर समाया हो कल आने वाले भंवरे का इंतजार जैसा..
खिलकर फूल वादियों को महकाते हैं खुशबुओं का सौगात दे कर,
...

अगर कर सकते हो तो बस प्रेम करो
अस्वीकृति के बाद भी प्रेम उसी से करो..
...

Anand Prabhat Mishra Biography

Anand Prabhat Mishra is a celebrated Hindi poet and writer from Patna Bihar, with a rich experience spanning over 10 years. His literary journey is deeply rooted in the cultural and emotional fabric of Indian society, with a special focus on themes like love, social norms, tradition, and the evolving dynamics between generations. Anand's poetry is known for its thought-provoking depth and emotional resonance, often exploring unspoken struggles, inner conflicts, and the beauty of human relationships. As a dedicated wordsmith, he blends the essence of classical Hindi literature with contemporary ideas, making his work relatable to both old and new generations. Over the years, Anand has earned a reputation for addressing sensitive topics such as societal expectations, gender norms, and personal identity with grace and sensitivity. His mastery of language and emotional depth continues to inspire and captivate his readers. Whether through heart-touching verses or evocative narratives, Anand Prabhat Mishra's contributions to Hindi literature reflect his unwavering commitment to his craft, solidifying his place as a voice of both tradition and progress in the literary world.)

The Best Poem Of Anand Prabhat Mishra

Shayar Hun Koi Farishta Toh Nhi.

शायर हूँ कोई फ़रिश्ता तो नहीं
तेरा दर्द मेहसूस कर सकता हूँ
पर मिटा सकता नहीं
चाहो तो कुछ दर्द पन्नों पर उतार लो
वाह वाही मिलेगी बदले में,
हाँ पर मोहब्बत नहीं
शायर हूँ कोई फ़रिश्ता तो नहीं
तुम छुपा लो लाख तकलीफें अपनी
चेहरे पर सजा लो झुठी मुस्कान अपनी
पर मैं जानता हूँ ये आंसू हैं पानी तो नहीं
मोहब्बत के आशियाने को तन्हा छोड़ गया है कोई
तेरा दिल रोया है आज यूँ हीं तो नहीं
सच कहता हूँ तेरी तकलीफें सीने से लगा लूंगा
पर तेरे सीने के जख़्म भर सकता नहीं
शायर हूँ कोई फ़रिश्ता तो नहीं
ठहरा लूँ कुछ पल तुम्हे अपने आशियाने में
पर सुकून की नींद दे पाउँगा नहीं
महफूज़ चार दीवारें तो हैं पर मोहब्बत सी छत नहीं
बिखरे हैं अरमानों के सीसे हर ओर
डर लगता है तुम्हे चुभ न जाएं कहीं
हाँ पर चाहो तो पन्नों के मखमली बिस्तर पर
अरमानों को अपने कुछ वक़्त सोने दो
इससे ज्यादा कुछ और दे पाउँगा नहीं
शायर हूँ कोई फ़रिश्ता तो नहीं

Anand Prabhat Mishra Comments

Anand Prabhat Mishra Quotes

जितना दिल से तूने दूर किया है उतना दूर तो तेरा शहर भी नहीं ।।

क्या तेरे छत से भी चाँद तन्हा दिखता है या तेरे दिल में मेरी जगह कोई और धड़कता है

मेरे हृदय की रिक्तियों के लिए कोई विकल्प नहीं एक मात्र तुम हीं हो जिससे जीवन की तर्क दी जाए चाहे पूर्ण, अपूर्ण, उचित, अनुचित जो भी कहा जाए हम समुचित तभी हैं जब शामिल तुम्हें किया जाए

'प्रेम' स्त्री को श्रृंगार और पुरुष को धन कमाने के लिए प्रेरित करता है । : -आनंद प्रभात मिश्रा

अगर कर सकते हो तो बस प्रेम करो अस्वीकृति के बाद भी प्रेम उसी से करो.. : -आनन्द प्रभात मिश्रा

हाथ पकड़ने वाला हर इंसान आपका तलबगार नहीं होता, , कुछ लोग अपने लड़खड़ाए कदम को संभालने के लिए भी हाथ पकड़ लेते हैं.. : - आनन्द प्रभात मिश्रा

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