कृपा कर दो.. Krupa Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

कृपा कर दो.. Krupa

Rating: 5.0

कृपा कर दो
Thursday, February 21,2019
9: 10 AM

कहाँ गए मोरे श्याम
राह निहारे बीत गई शाम
अब तो प्रकट हो घनस्याम
आँखोने छोड़ दी आशा तमाम।

दुनिया प्यासी
आपकी अभिलाषी
मच गया है शोर
और हो गयी है भोर

नहीं रही कोई मन में आशा
छा गयी है दिल में निराशा
क्यों छोड़ गए हो तुम गिरधारी?
हम तो थे पहले भी अनाडी।

माफ़ कर दो अब की बार
हम लगा रहेहै दिल से गुहार
तुम ही तो हो हमारे तारणहार
श्रुष्टि के निर्माता और रचना कार।

देखे आपको हर दिशा में
छै है ऐसे मनसा दिल में
अब तो ना रहा जाए पलभर
कृपा करदो अब की बार।

कृपा कर दो.. Krupa
Wednesday, February 20, 2019
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 20 February 2019

देखे आपको हर दिशा में छै है ऐसे मनसा दिल में अब तो ना रहा जाए पलभर कृपा करदो अब की बार। Hasmukh Amathalal

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Mehta Hasmukh Amathaal

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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