कृपा कर दो
Thursday, February 21,2019
9: 10 AM
कहाँ गए मोरे श्याम
राह निहारे बीत गई शाम
अब तो प्रकट हो घनस्याम
आँखोने छोड़ दी आशा तमाम।
दुनिया प्यासी
आपकी अभिलाषी
मच गया है शोर
और हो गयी है भोर
नहीं रही कोई मन में आशा
छा गयी है दिल में निराशा
क्यों छोड़ गए हो तुम गिरधारी?
हम तो थे पहले भी अनाडी।
माफ़ कर दो अब की बार
हम लगा रहेहै दिल से गुहार
तुम ही तो हो हमारे तारणहार
श्रुष्टि के निर्माता और रचना कार।
देखे आपको हर दिशा में
छै है ऐसे मनसा दिल में
अब तो ना रहा जाए पलभर
कृपा करदो अब की बार।
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देखे आपको हर दिशा में छै है ऐसे मनसा दिल में अब तो ना रहा जाए पलभर कृपा करदो अब की बार। Hasmukh Amathalal