shivani gaur Poems

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1.
प्रेम

दो विपरीत ध्रुवों के बीच,
संतुलन नाप,
रस्सी पर झूलती नटनी,
गिरना जाने बिना संभलती है,
...

2.
अज्ञातवास

.दरवाज़े से,
जमीन का साथ देती
झिर्री से गुजरी......
.एक चिट्ठी,
...

3.
मन्नत

बांधे थे कुछ ताबीज़ दरख्तों पर,
लगाये थे ताले अजाने शहर के एक पुल पर,
सर झुका धागों में गिरहें भी डाली थी,
बंद मुट्ठी की पीठ पर रख
...

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