Ya Khuda Poem by milap singh bharmouri

Ya Khuda

या खुदा या खुदा, या खुदा..
मै नही तुजसे जुदा
तू नही मुझ से जुदा

तुजको देखता हु मै फिजाओं में
तुजको देखता हु मै खिजाओं में
तू ही तो है हर किसी की निगाहों में
या खुदा या खुदा या खुदा, या खुदा...

हर तरफ है तेरी परछांईयां
तुजमे ही खत्म है गहराईंया
तेरी ही बनाई है ऊंचाईयां
या खुदा या खुदा या खुदा, या खुदा....

जर्रे -जर्रे में बसा है तू ही तू
पत्ते -पत्ते में बसा ही तू ही तू
तुझपे ही खत्म हर गुफ्तगू
या खुदा या खुदा या खुदा, या खुदा...


.....milap singh bharmouri

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