Wo Deewani Lagati Hai (Hindi) वो दिवानी लगती है Poem by S.D. TIWARI

Wo Deewani Lagati Hai (Hindi) वो दिवानी लगती है

वो दिवानी लगती है

सब कहते हैं पगली उसको, वो मुझे दिवानी लगती है । '
दर्द छुपा आँखों में उसकी, दुख भरी कहानी लगती है ।'
प्यार लुटाया उस पर इतना, चैन ना मिले उससे बिछुड़े
बहती यादों में निस, सरि का निर्मल वह पानी लगती है।
बीत गये जाने के उसके साल दो, पर अब तक न लौटा
कहने, उसके खोने की बातें वही, जुबानी लगती है।
खोकर खो बैठी उसको वो होश, बाट जोहे दुखियारी
तकती खाली राहों को, हरकत अति बचकानी लगती है।
उसके बिन जीना उसका बेकार सा, लगे निष्प्राण हुई
खोज रही जोश भरी, बिजली सी बड़ी तुफानी लगती है।
मन में रखती साहस अपरम्पार, भरे सनक पा लेने का
आज नहीं तो कल पूरी होगी तलाश, ठानी लगती है।
फिरती दर दर बिछुड़ी उससे भूख प्यास की परवाह नहीं
रोती पीड़ा में, ममता की एक विरल निशानी लगती है।

एस० डी० तिवारी

Saturday, January 30, 2016
Topic(s) of this poem: hindi,pain
COMMENTS OF THE POEM
Abhilasha Bhatt 31 January 2016

Bahut hi sundar kavita hai.....bhavon se bhari ek sundar rachna.....thank you for sharing :)

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