विश्वास करो... Vishvaas Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

विश्वास करो... Vishvaas

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विश्वास करो
शुक्रवार, २३ अगस्त २०१९

जिंदगी ने कान मे कुछ गुनगुनाया
मेरी पीठ को भी थपथपाया
फिर कान मे धीरे से फुसफुसाया
"जिंदगी ने तुझे बहुत दौड़ाया"

तू भी बहुत पीछे भागा
अपना ही राग आलापा
पर हाथ कुछ नहीं आया
चिंता ने तुझे बहूजत सताया।

मत दौड़ इतना पीछे
मन को कहे दे कुछ सोचे
नहीं आना कुछ हाथ अपने
अपने भी हो जाएंगे बेगाने।

रख मंसूबा मक्कम
और खड़ा रह अड़ीखम
नहीं है यहाँ कुछ भी आसान
बस करता रहे प्रयास इंसान।

हाथ पाँव इतना प्रसारो
बनती रहे बात आसान यारो
यहाँ हर बात मुमकिन है
"विश्वास करो" यक़ीनन सब सच है।

हसमुख मेहता

Friday, August 23, 2019
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 23 August 2019

Hasmukh Mehta Thank you For both 1 Hide or report this Like · Reply · 2h

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Mehta Hasmukh Amathalal 23 August 2019

हाथ पाँव इतना प्रसारो बनती रहे बात आसान यारो यहाँ हर बात मुमकिन है " विश्वास करो" यक़ीनन सब सच है। हसमुख मेहता Hasmukh Amathalal

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Mehta Hasmukh Amathaal

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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