Usne Khat Men Bhala Likha Kya Hai Poem by Suhail Kakorvi

Usne Khat Men Bhala Likha Kya Hai

उसने ख़त में भला लिखा क्या है
नामाबर ये मिटा मिटा क्या है

दिल का ये हाल हो गया क्या है
मिल के बेदर्द से मिला क्या है

दर्द को नींद आई जाती है
क्या हुआ कोई जानता क्या है

एक ही बात सौ फ़साने हैं
क्यों ये बदली हुई फिजा क्या है

वो है तहदार कुछ नहीं खुलता
पीने वाला है, पारसा क्या है

क्यों है चेहरे पे ऐसा सन्नाटा
राज़ दिल में तेरे छिपा क्या है

मेरे पहलू में फूल खिलते हैं
मोजज़ा ये मेरे खुदा क्या है

ग़म की लज्ज़त का कुछ जवाब नहीं
हसने वाला ये कह गया क्या है

कोई आराइशे जमाल नहीं
आपको आज ये हुवा क्या है

अपना दिल अपने पास ढून्ढ ज़रा
मेरे पहलू में देखता क्या है

मेरे आईनए तसव्वुर में
जगमगाता ये चाँद सा क्या है

ये तो सोचो वही हैं जाने वफ़ा
'जो नहीं जानते वफ़ा क्या है '

इश्क की आग इम्तिहाने वफ़ा
ऐ सुहेल इसमें सोचना क्या है

नामाबर - पत्रवाहक, तहदार - परतों वाला,
आराइशे जमाल - सौंदर्य को सजाना, मोजज़ा - चमत्कार

Wednesday, May 6, 2015
Topic(s) of this poem: philosophical
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
Following Great Ghalib with his meter, rhyme and arhytm; His famous ghazal Starts with- 'Dile nadan tujhe hua kya hai' means What happened to thee my simple heart'.uncertainty of diction, familiarity which was not usual in his poetry changed the views that Ghalib is only hard to understand.I also attempted to adopt same style but following of greats is never easy;
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