तुम बिन साजन Tum Bin Sajan Poem by S.D. TIWARI

तुम बिन साजन Tum Bin Sajan

सावन बीता जा रहा, साजन नहीं है संग
विशाल मन के पृष्ठ पर, कौन भरेगा रंग
कौन भरेगा रंग, श्वेत, सादा सा लगता
बरसे रंग, भिगोये, नित्य बेकल मन करता
समझाऊँ किस भांति, दीवाना कर देता घन
तुम बिना ऐ साजन, जेठ सा लगता सावन

(C) S. D. Tiwari

Wednesday, June 3, 2015
Topic(s) of this poem: love
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