Thodi Sammati...थोड़ी सम्मति रहती है Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

Thodi Sammati...थोड़ी सम्मति रहती है

थोड़ी सम्मति रहती है

यही सन्देश है
और आदेश भी
उसका अनुभव हमने खुद करना है
और तकलीफ आ जाय तो सामना भी करना है,

तो हमारा क्या फर्ज बनता है?
क्या धर्म हमें यह नहीं सीखाता है?
प्यार करो और प्यार मे लीन हो जाओ
समजने में देरी मत करो और मगन हो जाओ।

यह सन्देश पुरे विश्व के लिए है
हम सब अंगार के ढेर पर बैठे है
यदि कुछ बचा सकता है तो' वो प्यार ओर महोब्बत ही है'
बाकी सब "राख के ढेर तक" पहुंचाने क लिए काफी है।

खुद को तुम विस्मित पाओगे
शांतिमय मुद्रा में खो जाओगे
शांति ही 'एकमात्र उपाय' ठीक लगेगा
आप सोचोगे'इस दुनिया में बाद में कौन बचेगा?

सब अपनी अपनी किस्मत लिखाकर आये है
'कुछ करके जाना है' यही सोच आगे किये है
हर काम उसी के आदेश से होती है
हमारी तो बस थोड़ी सम्मति रहती है।

Thodi Sammati...थोड़ी सम्मति  रहती है
Saturday, April 23, 2016
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 23 April 2016

Tarun H. Mehta Very nice words & good PIC Unlike · Reply · 1 · 25 mins

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Mehta Hasmukh Amathalal 23 April 2016

सब अपनी अपनी किस्मत लिखाकर आये है कुछ करके जाना है यही सोच आगे किये है हर काम उसी के आदेश से होती है हमारी तो बस थोड़ी सम्मति रहती है।

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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