Thank You Poem by Sanjeev Kumar

Thank You

सविता देवता संदेशा,
मेरा तुम ले जाना,
जहाँ कहीं भी गुरुवर होँ,
उन तक तुम पहुँचाना।

मुझे नहीं है अन्देशा,
मैं तो रहा एक अंजाना,
जहाँ कहीं भी गुरुवर हों,
उन तक तुम पहुँचाना।

दिया क्या मुझे उन्होंने,
समझ से हूँ मैं बेगाना,
जहाँ कहीं भी गुरुवर हों,
उन तक तुम पहुँचाना।

अगर हुई गलती कोई,
कर दें माफ़ मुझे,
जहाँ कहीं भी गुरुवर हों,
उन तक तुम पहुँचाना।

सविता देवता संदेशा,
मेरा तुम ले जाना,
जहाँ कहीं भी गुरुवर होँ,
उन तक तुम पहुँचाना।

Copyright © 2012 Sanjeev Kumar

POET'S NOTES ABOUT THE POEM
No Mentor, No Success.
COMMENTS OF THE POEM
Vishal Sharma 23 November 2012

bahut badhiya.. thanks for sharing

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Sanjeev Kumar

Sanjeev Kumar

Jamshedpur, India
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