Taare - तारे Poem by Abhaya Sharma

Taare - तारे

तारों में सजते है सपने
सपनों में सजते तारे
खेल रहे है आंख-मिचौली
छुप जाते दिख जाते सभी
नही मिला है मुझको तारा
मुझको था जो सबसे प्यारा
घूम रहा हूं ढूंढ रहा हूं
बन कर मैं एक बंजारा
मिलने में सुख हो कितना भी
नही मिलने से मैं नही हारा!

- अभय शर्मा

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Abhaya Sharma

Abhaya Sharma

Bijnor, UP, India
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