Sarason Phooli फूली सरसों Poem by S.D. TIWARI

Sarason Phooli फूली सरसों

Rating: 5.0

फूली सरसों देख कर, खिला किसान का मन
ऋतु महंत बसंत अंत, भरेगा घर में अन्न
भरेगा घर में अन्न, और झूमेंगी खुशियां
नये परिधान पहन, मेला जाएगी मुनिया
बढ़ी पेंग स्वप्न की, कुटुंब की गगन छू ली
अच्छी फसल की आस, लिये मन सरसो फूली

एस० डी० तिवारी

Thursday, June 4, 2015
Topic(s) of this poem: happy
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 04 June 2015

कुंडली शैली में और आलंकारिक भाषा में लिखी आपकी इस रचना की जितनी तारीफ़ करें कम है. धन्यवाद, तिवारी जी.

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