सखी तेरे है नैना खंजर (SAKHI TERE HAIN NAINA KHANJAR) Poem by Nirvaan Babbar

सखी तेरे है नैना खंजर (SAKHI TERE HAIN NAINA KHANJAR)

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सखी तेरे है नैना खंजर, तेरे नैन हमें हैं भाएँ रे,
कोई मन को कैसे मनाए, दिल का हंस उड़ा ये जाए रे,

नयन मैं तू है, ध्यान मैं तू है, हृदय को तू तरसाए रे,
मंद-मंद मुकाए रे तू, मेरे हृदय को जलज बनाए रे,

निर्वान बब्बर

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