सब का सुख... sab ka sukh Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

सब का सुख... sab ka sukh

Rating: 5.0

सब का सुख हमारा ध्येय है

ना कोई हमारे वचन से दुखी हो
ना कोई हमारे आचरण से खिन्न हो
हम स्वयं मे एक अहिंसा के पुजारी बने रहे
बगिया में फूल हमेशा खिले रहे।

किसी का जीवन मिटाना हमारा काम नहीं
बुरा वर्ताव करना हमारे स्वाभाव में नहीं
हम कामना करे उन जीवों की रक्षा के लिए
जो हरदम मरते है हमारे भोजन के लिए

बुरा वर्ताव करना हमारे स्वाभाव में नहीं
हम कामना करे उन जीवों की रक्षा के लिए
जो हरदम मरते है हमारे भोज के लिए
कई हमलोग विलाप करते है स्वजन के लिए?

रक्षा करे मन से और पार्थी रहे
भगवान सुब को सुखी रखें
जिन धर्म बना इस लिए है
सब का सुख हमारा ध्येय है

COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 02 April 2015

Krishna Kumar right 16 hrs · Unlike · 1 Hasmukh Mehta welcome Swati pandey Just now · Unlike · 1

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Mehta Hasmukh Amathalal 02 April 2015

Purvi Mehta likes this. Hasmukh Mehta.......welcome Just now · Unlike · 1

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Mehta Hasmukh Amathaal

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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