प्यार का इजहार Pyar Kaa Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

प्यार का इजहार Pyar Kaa

प्यार का इजहार

माना समंदर आपकी कदमो मे थम गया
आप ने गेहराई को नजदीक से देख लिया
वरना लोगो ने तो हुसे देख ते ही मुंह फेर लिया
आपने तो अपना इश्क उस्की गोदी में समा लिया

लोग तो तड़प जाते है एक झलक पाने के लिए
आपने तो समँदर को एक गुट मे ही पी लिया
पता नहीं उसकी हर बूंद मे आप को क्या क्या मिला?
पर आपने कभी महसूस नहीं लिया गिला।

कहते है हिना रंग लाती है पीस जाने के बाद
आप ने महोब्बत को जान लिया साइन से लगानेके बाद
अब मुस्कान है चेहरे पर सम्हल लेने के बाद
आप हको हर बात ओरपाल याधै आज

किया नहीं था आपने किनारा प्यार से
बस दिखाया था गुस्सा बाहर से
अब तो मुस्कान ही बिखेर रहे हो
अपने आप को खिला खिला महसूस कर रहे हो

अब कतई रंज नहीं आपको प्यार के नाम से
कह रहे हो सब से अपने ही उपनाम से
कूद रहे हो, चहेक रहे हो सीने पे हाथ रख कर
ख़ुशी का ठिकाना नही बस खड़े हो दिल थाम कर

प्रेमके रूप है हजार
न करो उसका इन्तेजार
थाम लो बैया और करलो सफर का इन्तेजाम
कुबूल कर लो आज प्यार का इजहार सरेआम

प्यार का इजहार  Pyar Kaa
Tuesday, February 9, 2016
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 10 February 2016

Rashmi Jain लाजवाब, बेहद शुक्रिया जी smile emoticon See Translation Unlike · Reply · 1 · 20 hrs

0 0 Reply
Mehta Hasmukh Amathalal 10 February 2016

1 · 20 hrs Poonam Garg Poonam Garg Waah sir very nice See Translation Unlike · Reply · 1 · 1 hr

0 0 Reply
Mehta Hasmukh Amathalal 09 February 2016

प्रेमके रूप है हजार न करो उसका इन्तेजार थाम लो बैया और करलो सफर का इन्तेजाम कुबूल कर लो आज प्यार का इजहार सरेआम

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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