प्यार का पंछी, ग़ज़ल Pyar Ka Panchhi (Hindi) Poem by S.D. TIWARI

प्यार का पंछी, ग़ज़ल Pyar Ka Panchhi (Hindi)

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प्यार का पंछी, ग़ज़ल


जाने कब आ बैठा, दिल में, प्यार का पंछी
आते ही उसके उड़ गया, करार का पंछी।
दिल हो गया बेचैन, उड़ा दिन रैन का चैन
उड़ने लगा था घड़ी घड़ी खुमार का पंछी।
लिख डाला हमने खत, दिल में ही दिल के शब्द
भेज दिया पास उनके, इजहार का पंछी।
हमने सुनी एक ना, करते रहे वो ना ना
उधर से उड़ के आ गया, इकरार का पंछी।
फिर तो हो गया उसका उड़ पाना दुस्वार
फंस गया बेचारा, खुले आकाश का पंछी।

- S. D. Tiwari

Friday, October 16, 2015
Topic(s) of this poem: hindi,love
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 16 October 2015

यह प्यार का पंछी भी कैसे कैसे करतब दिखाता है. लेकिन अंत में मुहब्बत का पैगाम ले ही आया: करते रहे वो ना ना, हमने सुनी एक ना चला उधर से उड़ आया, इकरार का पंछी।

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